ये हँसते लब कभी बता नहीं पाते तुम्हे ,
कितनी खरोंचे इस दिल की दीवारों पर है ,
लहू रिज़ रहा है ,
घाव नहीं भरने देती दुनिया ,
मरहम तो मुमकिन नहीं तुझसे हासिल ,
बस घाव देना रोक सके हो तो रोक लो .....
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ये भीड़में मुझे तनहा कर दिया ,
हँसी की चाहतमें आंसूके सागरमें डुबो दिया ,
अय जालिम इश्क करने क्या ऐसा गुनाह हमने कर दिया ?
हमें इंसानके नाम पर भी तुमने निकम्मा कर दिया .....
bahut hi badiya
जवाब देंहटाएंdo check out
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aapke bahut sarre future fans aapki kavitayein padne ka intezaar kar rahein hai ..do login and post.
GHAW DENA ROK SAKO TO ROK LO.. .. ACHCHHI BHAWABHIVYAKTI!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना.
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