1 अगस्त 2009

हैप्पी फ्रेंडशिप डे.....


तपते शोलों पर साथ साथ हमसफ़र बनकर चला है तू ,

जिंदगीके तूफानोंमें हरदम ढाल बनकर खड़ा है तू ,

गिरते संभलते,रुठते मनाते बड़ी ही अदबसे पका है तू ,

रिमज़िम बारिशमें नंगे पाँव से एक छतरीके नीचे चला है तू .........


दूरियाँ कभी मीलोंकी बन गई नहीं मायने रहे उसके

जब दिल उदास हुआ था एक सुकून बनकर मिला है तू ,

मेरे साथ हर गम में साथ मेरे रोया है तू ,

खुशी जब बनकर आई मेरी देहलीज़ पर मुस्कान बन खिला है तू ........


साल -महिना -दिनमें जिया नहीं कभी तुझे मैंने

बस कुछ पलोंके लिए भी मुझसे बातें कर गया है तू ,

खूनसे रिश्ता नहीं बना फ़िर भी अनकहा एहसास

रिश्तो की भीड़में एक गहरा रिश्ता बन गया है तू .........


मेरे लम्हों की रौशनी है अंधेरोंमें , फूलोंकी खुशबू सा

मेरे सूखे जीवन को बगिया बना गया है तू ,

उम्र जिस्म पर ,चेहरे पर छोड़ गई है जो जुर्रियाँ ,

उसकी गहराईमें हमारी दोस्ती बनकर जिया है तू .........

2 टिप्‍पणियां:

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