आज कुछ बोलने का दिल नहीं करता ,
आज मन कहता है बस तुम्हे सुनते ही रहे ,
डर है वक्त चला जाएगा हमसे दूर ,
और बात करते हुए शाम ढल जाए ......
वक्त को बाँध देती हूँ मौनकी डोर से ,
रेतको थाम लेती हूँ हाथसे फिसल न जाए ,
मंज़र ये हँसी है ढलती हुई शाम का
वक्त को गुजारिश है कुछ देर और ठहर जाओ ......
waqt kab ruka hai kisi ke liye,ek gujarish hum nhi kar le ruk jane ke liye,sunder kavita.
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat bhav
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
3. तकनीक दृष्टा
सुन्दर.
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