29 जून 2009

पहला ख़त हॉस्टलसे ..

हॉस्टल में रखे गए एक बच्चे का पहला ख़त :

" प्रिय पापा ,मम्मी ,अनू दीदी ...

सादर प्रणाम ,

आप सब ठीक होंगे ? आप मुझे मिस करते होंगे ...मम्मी मैं तुम्हे बहुत ही याद करता हूँ ....मम्मी क्या मैंने तुम्हे इतना सताया की तुमने मुझे हॉस्टलमें छोड़ने के लिए पापा को हाँ कह दिया ? नहीं मम्मी आज भी तुम मेरे रूममें जाकर मेरे तकिये को पप्पू समज कर सहलाती होगी ...मुझे अगले महीने के रविवार का इंतज़ार है ,मम्मी आप जरूर आना ...नहीं तो मैं आपसे किट्टी हो जाऊँगा ...

अनु दीदी आपको अब कोई पढ़ते वक्त तंग नहीं करता होगा ...दीदी बाजु वाले दिन्गु के कुछ कंचे मेरे पास रह गए है ...मेरे टेबल के तीसरे ड्रोवरके पीछे वाले हिस्से में लाल कलर के बैग में छुपाकर रखे है ...आप उसे दे देना ...वो मुझे मारता था इसी लिए मैंने गुस्से में छुपा दिया था ...दीदी इस हॉस्टल में मुझे उसकी बहुत याद आ रही है ..उसे ये बात जरूर बता देना ...और उसे मेरा माउथ ओरगन बहुत पसंद है उसे वो देना ...

इस वक्त राखी के दिन मैंने स्कुल में एक बड़ा प्यारा लकड़ी का बेंगल बॉक्स बनाना सिखाया था वो बॉक्स आपके लिए लेकर आऊंगा गिफ्ट के तौर पर ...

आप मम्मी के पास ही रहना ...वो जब मुझे याद करके रोये तो कहना मैं खुश हूँ ...आप रो दोगे तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा ...

बस अब शाम को खेलने का वक्त हो गया है ...मैं जा रहा हूँ ...मुझे ये ख़त का जवाब जरूर लिखना ...

पापा आपको मैंने कैसे भूल सकता हूँ ...आपकी चोकलेट को मिस करता हूँ ...मैं अच्छा बनने की कोशिश जरूर करूँगा की आपको मुझसे शिकायत न हो ...आपको मेरे प्रणाम ...

आपका ही

रवि राज

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