पुरानी यादोंकी गलीसे गुजरे हम आज अचानक ,
वही गली वही नुक्कड़ वही पेड़ घने से ,
बिखरे थे कुछ पत्ते सूखे जमीं पर
मेरे क़दमोंके निशां यादों में सहेजकर ..........
झाँका खिड़कीसे अन्दर घरके ,
कुछ नजर नहीं आया मगर ,
जिन्दा पाया बचपनकी हर याद को
और नैनोंमें नीर भर आया ,
वो सावन के झूले ,वो पानीमें दौड़ लगाना ,
नोट बुक के पन्ने फाड़कर कागजकी नाव तैराना ,
बाहर तेज़ धुप थी बैसाखकी ,
पर मन भीग रहा था ,आँखे रो रही थी जैसे बरसे सावन .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
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preshan kar diya beete hue lamho ki yaado ne...badhi muddat se loute jo diwaane ghar apne..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
जवाब देंहटाएंbachpan ki sunahari yaadein bahut sunder tarike se saheji hai,bahut khub.
जवाब देंहटाएंpurane ghar ke saath judee yaadein anmol hotee hain hamaare saath baantne ke liye shukriyaa......
जवाब देंहटाएंबहुत पसंद आयी...
जवाब देंहटाएं---
तख़लीक़-ए-नज़र
चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें
bachpan ke dino kee yaad dilati rachna ...waah
जवाब देंहटाएंkhub likhaa hai aapne...badhaayee..
जवाब देंहटाएंarsh
यादें बचपन की भली सबको होती प्रीति।
जवाब देंहटाएंबचपन फिर लौटे नहीं यही जगत की रीति।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
very nice
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