14 मार्च 2009

फ़िर एक नई सुबह ....

आज सुबहमें उठते हुए एक प्यारी सी अंगडाई ली थी ,

चुनरको हटाते हुए रातने धीरे धीरे आँख खोली थी .....

नींदमें ऐसे लगा जैसे किसीने ख्वाबोंमें जगाया था ,

यादोंको सुबहकी लालीने आँखोंमें सुरमेसा सजाया था .....

उड़ते हुए पंछीमें से एक आकर हमारी खिड़कीमें बैठा ,

फ़िर एक प्यारा सा संदेसा हमें सुनाया था .........

जागकर देख लो जरा सूरज फ़िर निकल आया है ,

देखो आज तुम्हारे लिए कितने सारे तोहफे लाया है ..!!!!

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