
तोडी थी कल आपने एक चीज जो थी कांचकी,
टुकडे बिखर गये फर्श पर जिसके वह मेरा दिल था....
नश्तर चूभ गया और कतरा कतरा बह चला,
तुम्हारे नाजुक पांवमें खूं बनकर ,मेरी आंखमें अश्क बनकर.........
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तोडीये ना दिल किसीका कभी ,बडा ही नाजुक होता है,
दर्द से उठी चुभन काबिले बर्दाश्त नहीं होती...
जोडना फिर चाहे कितना भी उसे ,
एक दरार दरम्यां नजर आ जाती है............
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bahut sundar rachna........isi tarah likhte rahen...
जवाब देंहटाएंसाँस लेते हुए एहसास, वाह!
जवाब देंहटाएं---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
bahut khoob kaha aapne.........daraar nazar aati hai
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