सिर्फ़ जिस्म अगर साथ साथ रहते हो तो मतलब नहीं कोई जज्बात का ,
फुरकत में भी दिल जब एक ही सुर में धड़कते है ,
तो अफ़साने बना करते है ,
यही तो वजह है जब किसी अजनबी भी दिल को अपना लगता है ,
अगर दिल की मोहब्बत नहीं जोड़ती हमें तो अपना भी बेगाना लगता है ....!!!!
सितारोंसे लड़कर लिख ली थी उसने भी अपनी तक़दीर ,
पर तदबीरका साथ नहीं मिल पाया उनसे ...
क्योंकि हाथों की लकीरों में ही ढूँढता रह जाता है कोई जब ,
आख़िर में इन्तजार करके लौट चुके थे जिसका इन्तजार था ....!!!
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें