वो दिल थी मैं धड़कन ,
वो सांस थी मैं गर्माहट ,
वो आयना थी मैं अक्स ,
वो बहार थी मैं फ़िज़ा ,
वो चाँद थी मैं सितारा ,
वो धरती थी मैं गगन ,
वो आस थी मैं प्यास ,
वो नदी थी मैं किनारा ,
वो जान थी मैं जिस्म ,
वो ग़ज़ल थी मैं काफिया ,
फिर भी
वो अपूर्ण थी और मैं भी ,
इस लिए पूर्णत्व की खोज में
हमारा मिलना जरुरी है .........
वो सांस थी मैं गर्माहट ,
वो आयना थी मैं अक्स ,
वो बहार थी मैं फ़िज़ा ,
वो चाँद थी मैं सितारा ,
वो धरती थी मैं गगन ,
वो आस थी मैं प्यास ,
वो नदी थी मैं किनारा ,
वो जान थी मैं जिस्म ,
वो ग़ज़ल थी मैं काफिया ,
फिर भी
वो अपूर्ण थी और मैं भी ,
इस लिए पूर्णत्व की खोज में
हमारा मिलना जरुरी है .........
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "अंधा घोड़ा और हम - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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