तन्हाई के जंगलों मे यादों के दरख्त पनपते है.
यहाँ पर भी मौसम होती है
औऱ मौसम के मिजाज भी बदलते हुए.
यहाँ भी पतझड और बहारो के काफिले,
यहाँ भी खुद से बिछडे औऱ खुद से जुड़े......
यहाँ पर भी मौसम होती है
औऱ मौसम के मिजाज भी बदलते हुए.
यहाँ भी पतझड और बहारो के काफिले,
यहाँ भी खुद से बिछडे औऱ खुद से जुड़े......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें