नब्ज़ में लहू नहीं लावा दौड़ता होगा शायद ,
दिलमे जब एक गूंज उठती थी तेरे नाम की ,
झुलसती हुई रातें बेमतलब यूँ ही गुजरती ,
जब तेरा जिक्र मेरे सपनों महफिलमें होता...
बेतरतीब से बिखरे मेरे कागज़ यूँ ज्यों त्यों ,
लब्ज़ उभरते तेरे नाम को बयां करने और बिखर जाते ....
वो आह थी , वो राह थी , वो चाह थी यूँ ही सजी ,
मेरे ख्यालों के रेगिस्तानों में आज
जिसे आज भी तेरी ज़लक का इंतज़ार है शायद ....
नज़्म बनते हुए मेरे आंसू के वो कतरे ,
दर्द को दिल से बहाकर ले चले कफ़न ओढ़ाकर ,
फिर भी साँसे थिरकती है बेजानसी जिस्म में .....
दिलमे जब एक गूंज उठती थी तेरे नाम की ,
झुलसती हुई रातें बेमतलब यूँ ही गुजरती ,
जब तेरा जिक्र मेरे सपनों महफिलमें होता...
बेतरतीब से बिखरे मेरे कागज़ यूँ ज्यों त्यों ,
लब्ज़ उभरते तेरे नाम को बयां करने और बिखर जाते ....
वो आह थी , वो राह थी , वो चाह थी यूँ ही सजी ,
मेरे ख्यालों के रेगिस्तानों में आज
जिसे आज भी तेरी ज़लक का इंतज़ार है शायद ....
नज़्म बनते हुए मेरे आंसू के वो कतरे ,
दर्द को दिल से बहाकर ले चले कफ़न ओढ़ाकर ,
फिर भी साँसे थिरकती है बेजानसी जिस्म में .....
आज की ब्लॉग बुलेटिन अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन कोड मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार !