ख्वाबों के नीले आसमानों पर
हसरतें लिख रही है कुछ दास्ताँ अनकही सी .
रातों को नींद बैरी बनकर ठिठोली करती ,
मेरे कमरे से दीखते चाँद को दिखाकर
चिढ़ाती है मुझे अक्सर ....
चाँद देखकर मुझे हौले मुस्कुराया ,
मैंने भी उसके इस्तकबाल के लिए
एक नज़्म को धीरे से गुनगुनाया …
मेरी और चाँद गुफ्तगू बस चल रही थी
और पीछे से हसरतने आवाज लगायी
वो नूरानी हयात बनकर सामने खड़ी थी …
मैं और चाँद दोनों बूत बने देखते रहे
और सुबह हो गयी ....
हसरतें लिख रही है कुछ दास्ताँ अनकही सी .
रातों को नींद बैरी बनकर ठिठोली करती ,
मेरे कमरे से दीखते चाँद को दिखाकर
चिढ़ाती है मुझे अक्सर ....
चाँद देखकर मुझे हौले मुस्कुराया ,
मैंने भी उसके इस्तकबाल के लिए
एक नज़्म को धीरे से गुनगुनाया …
मेरी और चाँद गुफ्तगू बस चल रही थी
और पीछे से हसरतने आवाज लगायी
वो नूरानी हयात बनकर सामने खड़ी थी …
मैं और चाँद दोनों बूत बने देखते रहे
और सुबह हो गयी ....
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