मैं , तुम यानि की हम ,
ये जो पल जी रहे है आज में ,
बैठकर सोचते है की
ये वक्त क्यों ऐसा है ???
सब कुछ ठीक कब होगा ???
पर ये वक्त की राह जाती है
अक्सर यादों के शहर में ,
वहाँ बीच शहर के मोहल्ला है ,
उस गली में ये यादें जाकर
अक्सर बस जाती है ,
गुजरता हर लम्हा वक्त के लिबास में वहीँ जाता है
पर कमाल की बात है ये कि
वहाँ पर जगह की कोई कमी नहीं हुई ,
बस हमारे दिल की तरह … !!!
वो आने वाला वक्त कभी आज में तब्दील होगा तब
जाकर टटोलेंगे हम ,
ये मक़ाम जहाँ उस गली में यादों का बसेरा है …
तब ये सोचेंगे ये वक्त कितना अच्छा था !!!
काश ये लौटकर दोबारा आये आज में !!!!
बस ये यादों के ताज महल हमारे साथ बने थे …
और ये अमर हो जाएंगे हमारे जाने के बाद भी .......
ये जो पल जी रहे है आज में ,
बैठकर सोचते है की
ये वक्त क्यों ऐसा है ???
सब कुछ ठीक कब होगा ???
पर ये वक्त की राह जाती है
अक्सर यादों के शहर में ,
वहाँ बीच शहर के मोहल्ला है ,
उस गली में ये यादें जाकर
अक्सर बस जाती है ,
गुजरता हर लम्हा वक्त के लिबास में वहीँ जाता है
पर कमाल की बात है ये कि
वहाँ पर जगह की कोई कमी नहीं हुई ,
बस हमारे दिल की तरह … !!!
वो आने वाला वक्त कभी आज में तब्दील होगा तब
जाकर टटोलेंगे हम ,
ये मक़ाम जहाँ उस गली में यादों का बसेरा है …
तब ये सोचेंगे ये वक्त कितना अच्छा था !!!
काश ये लौटकर दोबारा आये आज में !!!!
बस ये यादों के ताज महल हमारे साथ बने थे …
और ये अमर हो जाएंगे हमारे जाने के बाद भी .......
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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