जिंदगी एक सफर ,
इब्तदा से इन्तेहाँ तक .
आग़ाज़ से अंजाम तक का ,
समंदर से साहिल तक का …
उदय से अस्त तक का …
अनगिनत मंजर से गुजरना है …
कभी कारवाँ का हिस्सा बनकर ,
कभी तनहा तनहा ही चलना है …
ख़ुशी के कहकहे है कहीं कहीं ,
वक्त उस घडी खुद में
मौसमे गम का मंजर है …
तनहा दिल को अश्कों का साथ है …
कह देते है जूठ्मूठ ही तब ,
जाने भी दो यारो ख़ुशी में ये आँखों की नमी है …
जब गम हो चारो और तब कोई मंजर
हमें चुपके से गुदगुदा देता है
और हम हस भी नहीं सकते
क्योंकि गम में हंसी को
कभी मेहमान होने का हक्क नहीं …
चलो इस दुनियामें रहकर निभाई जाए दुनिया दारी ???
या खुद की खोज में खुद के साथ चला जाए ???
खुद के सवाल का खुद ही जवाब बना जाए ???!!!
इब्तदा से इन्तेहाँ तक .
आग़ाज़ से अंजाम तक का ,
समंदर से साहिल तक का …
उदय से अस्त तक का …
अनगिनत मंजर से गुजरना है …
कभी कारवाँ का हिस्सा बनकर ,
कभी तनहा तनहा ही चलना है …
ख़ुशी के कहकहे है कहीं कहीं ,
वक्त उस घडी खुद में
मौसमे गम का मंजर है …
तनहा दिल को अश्कों का साथ है …
कह देते है जूठ्मूठ ही तब ,
जाने भी दो यारो ख़ुशी में ये आँखों की नमी है …
जब गम हो चारो और तब कोई मंजर
हमें चुपके से गुदगुदा देता है
और हम हस भी नहीं सकते
क्योंकि गम में हंसी को
कभी मेहमान होने का हक्क नहीं …
चलो इस दुनियामें रहकर निभाई जाए दुनिया दारी ???
या खुद की खोज में खुद के साथ चला जाए ???
खुद के सवाल का खुद ही जवाब बना जाए ???!!!
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