मेरी चुप्पी ,ये ख़ामोशीके दायरोंकी एक दीवार ,
अविरत पड़ती है बारिशोंकी रिसती कलम उस पर ,
कितने अफसाने लिखे हुए बह गए है ,
हर रंग लेकर अपने साथ वो जमीं पर एक लकीर बनकर ........
ये इंटकी आँखे नमसी कुछ और गहरी लाल रंगकी ,
सोखे जा रही है बादलोंकी नमी जो बरस पड़ी ,
वो जमीं भी छल छल कर रही ,
वो सरका रही है बहती हुई लकीरोंमें ,
नदीके आँचलको छलक जाने दो ........
नदीसे सागरोंका सफ़र भी तूफानी हो जाता है ,
बस एक एहसास फिर कभी एक सीपीमें कैद हो
उस उम्मीदकी लौमें
अरमानोका एक सफ़ेद रंग मोती बनने की गुंजाइश लिए
चल पड़ा कहीं दूर ...कहीं दूर ...कहीं दूर ........
अविरत पड़ती है बारिशोंकी रिसती कलम उस पर ,
कितने अफसाने लिखे हुए बह गए है ,
हर रंग लेकर अपने साथ वो जमीं पर एक लकीर बनकर ........
ये इंटकी आँखे नमसी कुछ और गहरी लाल रंगकी ,
सोखे जा रही है बादलोंकी नमी जो बरस पड़ी ,
वो जमीं भी छल छल कर रही ,
वो सरका रही है बहती हुई लकीरोंमें ,
नदीके आँचलको छलक जाने दो ........
नदीसे सागरोंका सफ़र भी तूफानी हो जाता है ,
बस एक एहसास फिर कभी एक सीपीमें कैद हो
उस उम्मीदकी लौमें
अरमानोका एक सफ़ेद रंग मोती बनने की गुंजाइश लिए
चल पड़ा कहीं दूर ...कहीं दूर ...कहीं दूर ........
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