चलो आज चुप रह जाते है ,
न तुम कुछ बोलोगे न हम ...
क्योंकि आज मैंने ख़ामोशीसे वादा किया है ,
आज तुम्हारी सारी बातें हम सुनेंगे .....
निशब्द हो सब कुछ ,
न हवा कुछ कहे न फ़िजा कुछ कहे ...
आसमान भी अपनी कोरी तन्हाईयाँ
नीले रंगमें घोल दे ,बादल बदरीसे दूऊऊर .....
सूरजकी तिल्मिलाती जुल्साती किरने
चुभोती रहे नश्तर तहे दिल पर कभी ....
वो गुजरे हुए पल भी होठो पर कुछ
दबी दबी सी मुस्कुराहटें छोड़ जाए ...
बस तुम्हारी हथेलीको हाथमें लिए
हम इन पलोंको एक नज़्ममें उस पर लिखते जाए ....
न तुम कुछ बोलोगे न हम ...
क्योंकि आज मैंने ख़ामोशीसे वादा किया है ,
आज तुम्हारी सारी बातें हम सुनेंगे .....
निशब्द हो सब कुछ ,
न हवा कुछ कहे न फ़िजा कुछ कहे ...
आसमान भी अपनी कोरी तन्हाईयाँ
नीले रंगमें घोल दे ,बादल बदरीसे दूऊऊर .....
सूरजकी तिल्मिलाती जुल्साती किरने
चुभोती रहे नश्तर तहे दिल पर कभी ....
वो गुजरे हुए पल भी होठो पर कुछ
दबी दबी सी मुस्कुराहटें छोड़ जाए ...
बस तुम्हारी हथेलीको हाथमें लिए
हम इन पलोंको एक नज़्ममें उस पर लिखते जाए ....
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति........
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