30 मार्च 2012

ये सारी उम्र गुजर जाए ....

फलक पर रोज निकलते होंगे सितारे
आज छोटीसी चाहत है एक सितारा मेरा भी हो ,
बाग़में रोज खिलते होंगे फूल अनगिनत ,
आज छोटी सी चाहत है एक फूल सिर्फ मेरे लिए खिले .......
फिजाओंमें बिखरते है रंग कई रोज ,
आज छोटी सी चाहत एक रंग मेरे जीवनमे भी हो .......
प्यारके इज़हार भी होते होगे इस जहाँमें कितने ही ,
आज छोटी सी चाहत तुम भी ये कर जाओ मेरे लिए भी .....
हम तुम ये बंधन कहाँ है आज कलका ,
तुम्हारा साथ निभाया है हमने जबसे
सात फेरोंने हमें इस जनमके लिए मिलाया ......
तुम्हारी चाहत खामोश है ,
मेरी हया खामोश है ,
इस ख़ामोशीके बीच पनप रहा है एक प्यार
रोज गहराता रंग लिए ......
बस एक चाहत यूँही तुम्हारे काँधे पर सर रख कर
ये सारी उम्र गुजर जाए ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...