29 मार्च 2012

बस आज यूँही ...

रोज आती हूँ यहाँ डेशबोर्ड पर और बिना कुछ लिखे लौट जाती हूँ ...पता नहीं क्यों ऐसे लगता है की मैं शब्दोके साथ इन्साफ नहीं कर पाउंगी ...तो बस शट डाउन ...ऐसा नहीं की खयालो की कमी है पर उससे कोई टेस्टी पुलाव नहीं बन रहा ..और सादे चावल परोसने अच्छे नहीं लगते ...जिन्दगीको बहुत ही करीब से देखा इन दिनों ...बस चुपचाप एक नकशा बन रहा है उन राहोंका जिसपर चलना है मुझे .....हम इंसान खुदको खुदसे अलग करके क्यों नहीं जी सकते ?? हमेशा हर काम जिसमे खुदका वजूद गँवाकर जीना पड़ता है ...क्यों ??? न वर्तमान हो ,न भविष्य न कोई भूतकाल हो ऐसी कोई मनोस्थितिमें नहीं जी सकते ???? क्यों जिंदगी खींचते चले जाते है ..हम क्यों ऐसे जीना चाहते है जैसे लोग जी रहे है ???
लेकिन एक बात है की जब अपनी राह खुद बनाकर चलते वक्त हम लोगोको अनदेखा करते है तो उनको चुभ जाता है ...और बिना कोई बात ही हमें बदनाम करने की भरसक कोशिश भी की जाती है .......लेकिन इस वक्त में मैंने सिखा हर हालतमें लड़ना .....लोगोकी नहीं खुदकी परवाह करो क्योंकि आप अगर सच्चे हो तो लाख कोशिश जूठ कभी नहीं जीत सकता ....कल भी ये सच था ..आज भी है और हमेशा रहेगा ..बस थोडा धैर्य चाहिए ...वक्त आपका होगा......

हाँ आज एक बहुत ही बढ़िया ब्लॉग पढ़ा ......
आपसे जरुर शेयर करुँगी उसकी लिंक :
jiahh.blogspot.in


1 टिप्पणी:

  1. pata nahi...par shbado ki duniya kabhi kabhi bhot ruaab karti hai, jab me bhari hui hoti hoon to vo kahin se ek kuan dhoondhti hai or fir jaise hai ehsas ka pur ata hai.....achanak sab beh jata hai or fir badh aane lagti hai,kabhi kabhi ye badh me bhi nav chalane ka man hota hai bt dar lagat hai khain fisal gayi to?????
    tum to janti ho na agar vo naraz hokar,kahin door chali gayi to kyounki ME TO KHUD KI JUDWA HOON!!!!!!!

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