हर शामकी तन्हाईमें
तुम याद आये ,
जब चाँद निकला शर्माता हुआ दरख़्तके पीछे से
तुम याद आये ,
तुम्हे सोचनेके लिए आँखे बंद कर दी
तुम याद आये ,
तुम्हे भूल जानेकी खता न कर सके क्योंकि
हर पल तुम याद आये ......
जब चिड़िया की चहक गूंजी फिज़ाओमें
तुम याद आये ,
जब कोयलने दी पहली हुक
तुम याद आये ,
हाथोंकी रेखाओमें दिख रही तस्वीर क्योंकि
तुम याद आये ,
तक़दीरमें किसे ढूँढने जाए अब जब हर यादमे
तुम ही याद आये ....
तुम याद आये ,
जब चाँद निकला शर्माता हुआ दरख़्तके पीछे से
तुम याद आये ,
तुम्हे सोचनेके लिए आँखे बंद कर दी
तुम याद आये ,
तुम्हे भूल जानेकी खता न कर सके क्योंकि
हर पल तुम याद आये ......
जब चिड़िया की चहक गूंजी फिज़ाओमें
तुम याद आये ,
जब कोयलने दी पहली हुक
तुम याद आये ,
हाथोंकी रेखाओमें दिख रही तस्वीर क्योंकि
तुम याद आये ,
तक़दीरमें किसे ढूँढने जाए अब जब हर यादमे
तुम ही याद आये ....
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