कांपते लबोंसे जो बयाँ ना कर पाए ,
वो इश्कका इज़हार हमने तेरी आँखोंमें पढ़ लिया ......
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ख्वाबोंसे जगाकर एक उल्ज़ीसी लट
रुखसार पर आकर ठहर जाती है जब ,
गवाही दे जाती है ये हवाकी सरसराहट भी ,
बस आपने शायद हमें याद किया है .....
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शर्मों हया की लाली से सजती है मेरी सांज
इश्कके सदकेमें जैसे मेरी हर दुआ मुक्कमिल हो जाती है ......
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