सतरंगी बारिशकी चुनर श्यामा हो गयी ,
क्या कहें क्या रहा होगा तुम्हारा नज़रे करम !!!
मेरी हर ख्वाहिश दबी हुई फिर जवां हो गयी ,
एक गरीबके नसीब पर सारी कायनात मेहरबां हो गयी !!!!!!
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ना सोचा था ये भी होगा प्यारमें कभी
आरजूके सारे दरीचे इश्ककी कब्र पर
कफ़न बनकर सज जायेंगे हमारी ,
वो हमें जिन्दा गाढकर दफ़न कर जायेंगे !!!!!
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इस ठोकरने सिखाया हमें ,
गैर तो गैर ही रहेंगे हमारे ना हो पाएंगे ,
आपकी हर वफ़ाकी कीमत
सारे जहाँकी दीवारों पर
हमें बेवफा करार कर दिया ....
हमें रुसवा करके सरे बाज़ार नीलाम कर दिया .....
फिर भी शुक्रिया आपका ,
तुम्हारे दिलमें नफ़रत और हमारे दिलमें प्यार बनकर
इश्कका नाम ऊँचा कर दिया ........
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