आज तो लगते आपके अन्दाजें बयां कुछ और ही है ,
लगता है बादलसे आपके रुखसार पर बूंदोंके लिबासमें अल्फाज़ बरसे है .....
कभी कभी एहसास जुबाँकी देहलीज पर ठहर जाते है ,
न जाने क्यूँ फिर ये कलमसे नहा धोकर कागज़ पर बह जाते है ????
छुपाना चाहते हैं न जाने कितने राज़ हमसे ?
ये उठती झुकती पलकोंसे वो अनायास बयां हो जाते है !!!!
इन्कार मत कीजे जुबाँसे यूँ जब आपको भी है हमसे इश्क बेइंतेहा,
आप क्या जानो नज़रोंसे भी ये इज़हार हो जाते है .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
आप क्या जानो नज़रोंसे भी ये इज़हार हो जाते है ...
जवाब देंहटाएंसही कहा!
अच्छी रचना।
हाँ सब एक नज़र का ही खेल है और सामने वाला ढेर! :)
जवाब देंहटाएंपरवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार