एक खोया खोया सा चाँद
कल मेरे आँगनमें उतरा .....
कल अमावस थी
तो उसकी ऑफिसमें छुट्टी थी ....
कहा उसने कितने खुशनसीब है इंसान !!
उसे एक हफ्तेमें शनि रवि वीक एंड मिलता है .....
यहाँ तो बारह घंटे उनतीस दिन
नाईट शिफ्टमें काम करना पड़ता है .......
रातके अँधेरे में कुछ उल्लू ,कुछ चमगादड़ ,
कुछ जुगनू नज़र आते है ....
रातके फैले काजलमें तो सभी जीव सो जाते है ....
उब गया हूँ मैं भी अब यूँही रात अकेले अकेले घूमते ,
सितारे भी थक गए है अब तो वो भी टूट जाते है एक एक करके .....
चलो आज तुम मेरे साथ कुछ तो बतिया लो ,
मेरे कुछ गम को सुनो और कुछ ख़ुशी देकर जाओ ......
मैंने उसे डी वी डी पर गोलमाल सिरीज़ की चार फिल्मे दिखाई ,
तीन बड़े मग चाय पिलाई ,
और थोड़ी पकोड़ी भी खिलाई .....
खाकर खुश होता चाँद सुबह होते चला गया ,
फिर अगली अमावस आने का फिर वादा कर गया ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
सचमुच, वाह क्या .... कविता है!
जवाब देंहटाएं