कोई आकर कहींसे हौलेसे छू गया ऐसे ,
जैसे चेहरे को छू गयी बारिश की पहली बूंद .........
====================================
बारिशने क्या कहा धरती से ?
धरती एक सालके इंतज़ारमें कितनी जली तू ????
तेरे जर्रे जर्रे को छूकर मेरी बूंद भी गरमा गयी ,
ये प्यास कुछ घटा गयी या और बढ़ा गयी ???
======================================
एक मुठ्ठी आसमानको कैद करके देखा ,
वो तब भी खाली था ,और अब भी खाली ही निकला ......
=======================================
किसीकी याद जब बेक़रार कर गयी हो
तब ही उसका आना इंतज़ारके लुत्फ़का मज़ा ख़त्म कर गया ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें