मुझे मना मत करो ....
मेरी कल्पनाओका घरौंदा आज सजाना है ,
मोर के पांवमें घुंघरू बांध दूँ ....
आकाश को समुन्दरकी लहरोंसे नहला दूँ ...
चांदनी कांप रही है थर थर क्यों ???
उसे सूरजकी किरणोंका कम्बल ओढ़ाकर सुला दूँ ....
बांसुरी का गला सुख रहा है प्याससे ,
उसे ठन्डे ठन्डे नदियाँके लहरमें नहला दूँ ???
बहती हवाको एकतारेके तारमें बांध दूँ !!!!
बस एक ख्वाहिशका मनचला तूफ़ान
तहस नहस कर रहा है कोर कागज़ को इठलाता हुआ ....
चलो उसे अल्फाज़ की ज़ंजीरमें बांधकर कविता बना दू !!!!!
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
कोमल और सुंदर भावनाओं की अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंgood try sir
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