बिखरी हुई जुल्फोंका अफसाना हम कैसे कहें उनसे ?
गर कहें की पवन आज दिल्लगी कर रहा था छेड़ते हुए
तो इश्क जलकर खाक हो जाने का डर है ....
धीरेसे कह दिया कानोमे उनके
ये तो तेज हवाके झोंकोने चिलमन गिरा दी चेहरे पर मेरे
तुम्हारे सिवा कोई इसका दीदार ना कर सके ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
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रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
bahut khoob andaaz-e-bayaan
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