कल यूँही बस बहती हवाओमें जैसे तुम्हारी सदा सुनाई दी
ना थे पास तुम कहीं भी ,पर तुम्हारी हँसी सुनाई दी .....
चांदनी अहातेमें बैठने आई मेरे ,
ग़ज़ल कुछ काफियेमें बँट कर कुछ गुनगुना गयी ......
बस ये एहसासोंका सैलाब था
जो सिमट ना पाया कुछ शब्दोंकी मुठ्ठीमें .....
बस अश्क बन टपकता रहा मुठ्ठीसे मेरी
और जमीं पर एक नज़्म लिखता रहा .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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