एक सुन्दर सपना था ,
पलकोंसे निकला था ,
उसे दुनिया देखनी थी ,
उसका पैर फिसल गया ....
वो जमीं पर गिर गया ,
वो बैठे बैठे रोने लगा ,
उसके आंसू फर्श पर गिर गए ,
वो तो मोती बन गए ,
सपना हंस दिया ,
उसने कहा देखो आंसू ने मोती दिया ,
उसने बिलकुल सच कहा ....
इंसानकी हँसी बनावटी चाहे जो है ,
मोती बनने वाले आंसू तो सच्ची के होते है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें