रोशन होता है ये जहाँ
जब सूरज की किरन छूती है धरती को ...
कोई जाकर सूरजसे पूछे कभी
कितना जलना पड़ता है रोशन होने के लिए ....
बता सूरज तु भी
एक बार खुद में समेटे अँधेरे को
कौन से दिए से रोशन करता है तु ???
खुद को जला जला कर शमा भी पिघलती है
दिया भी बुझ जाता है
रह जाता है पिघला मोम
या राख़ ही नज़र आती है .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
wah wah...kya baat h sudar abhwyakti !!
जवाब देंहटाएंjai ho mangalmay Ho