उसे मैं कभी समजमें नहीं आई ,
क्यों ? पता नहीं ....!!!
मैंने उसे समजाने की कोशिश नहीं की ,
मैंने सुलझनेकी कोशिश नहीं की ,
मैं उसके शिकवे गिले सब सुनती रही ,
चुपचाप ..ख़ामोशीसे ....
किसने कहा प्यार में सिर्फ राह मिलती है फूलोंकी !!!
कभी राहमें बीछे कांटोकी चुभन भी चुपके से सहनी होती है .......
लेकिन मैं उसे समजती थी पूरी तरहसे ....
उसे आसमां सी ऊंचाई की चाह थी ,
उसे उंचाईसे प्यार था ,
और मैं जमींसे जुडी एक जर्रा धुल का ....
जिस पर उसके पैर टिके थे ,
जो ऊंचाईकी थकनके बाद
उसका आरामगाह का ठिकाना बन जाए शायद ....
क्या करूँ ???
उसका इंतज़ार करूँ ???
या फिर ....
उसकी सुनहरी यादोंकी शोलमें लिपट गुमशुदा हो जाऊं ???
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
उसे आसमां सी ऊंचाई की चाह थी ,
जवाब देंहटाएंउसे उंचाईसे प्यार था ,
और मैं जमींसे जुडी एक जर्रा धुल का ....
जिस पर उसके पैर टिके थे ,satya in panktiyon me ujaagar hai