21 फ़रवरी 2011

गुजारिश

एक पंछी को सीखना है पंख पसारना ,
एक पंछी को पंखो को खोलना सिखा दो ,
बहुत उड़ाने कैद है छोटे छोटे पंखो में ,
आओ उसमे आसमां की उचाइयां भर दो .....
ख्वाहिशोंसे ऊँचे होसलो पर सवार उसका मन ,
देखो गगन छूकर निकल जाने को बेक़रार है ........
एक पेड़ की टहनी है उसके ठहरने के इंतज़ार है ,
कुछ तिनके पड़े है राहोंमें उसका घोसला बनने को ,
कुछ दाने बिखरे है एक घर के अहातेमें चुगनेके इंतज़ारमें ,
बस एक बार पंख फैला दे तु ,
सारी कायनात तेरी स्वागत में बेक़रार है ........

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