13 जनवरी 2011

पतंग पतंग से कहती है

पतंग दुकान में गाएगी :
-छोटी फुद्दी ----मेरे ख्वाबोंमें जो आये ,आके मुझे छेड़ जाए ....
-बड़ा डुग्गा ----भोली सी सूरत आखों में मस्ती दूर खड़ी शर्माए ...आय हाय ...
छत पर मांजे को देखकर :
-तु मेरे सामने में तेरे सामने तुझे देखू के प्यार करूँ ?
-जादू तेरी नज़र खुशबू तेरा बदन ,तु हाँ कर या ना कर ..तु है मेरी किरन ...
दो पतंग साथ साथ उड़ते हुए :
-महेंदी लगा के रखना ,डोली सजा के रखना ,लेने तुझे ओ गोरी आयेंगे तेरे सजना ...
-तु मेरी अधूरी प्यास प्यास तु आ गयी मन को रास रास ,अब तो तु आ जा पास पास है गुजारिश ....
उड़ते वक्त पेच होने पर :
-बाहों के दरम्यां दो प्यार मिल रहे है ...
- ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ साथ चलके ,तेरी बाहों में है जानम मेरे जिस्मो जा पिघल के ...
कट जाने पर :
-रुक जा ओ दिल दीवाने ,पूछूं तो में जरा ...
-रुक जा ओ जाने वाली रुक जा मैं तो राही तेरी मंजिल का ...
-सुनिए तो रुकिए तो क्यों है खफा कहिये तो ...
उस पर कटी फुद्दी गाएगी :
- जरा सा झूम लूँ में अरे ना रे नारे ना ....

कटी पतंग पेड़ पर अटकते वक्त :
-तुझे देखा तो ये जाना सनम ,प्यार होता है दीवाना सनम ,अब यहाँ से कहाँ जाए हम तेरी बाँहों में मर जाए हम
पेड़ पतंग से :
-बहका मैं बहका वो बहकी हवा सी आये ,एक ही नज़र में सब मंजिल मंजिल पाए ...
===वासी उतरायण की रात :
-तेरा साथ है कितना प्यारा कम लगता है जीवन सारा ,
तेरे मिलन की लगनमें हमें आना पड़ेगा दुनिया में दोबारा .....

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