किसी अजनबी रात की तरह सड़क पर
जाने पहचाने चेहरे गुजर जाते है
देखते नहीं एक निगाह भर कर कभी
पता नहीं ये जिंदगीको क्यों ऐसे ही समेटते है
की बस जीने का आखरी दिन हो और कल सहर ना हो ??????
रोज देखती हूँ अनगिनत चेहरे
ख्वाहिश पलती है की एक चेहरा
बिना पहचानके भी एक बार मुस्कुराकर देख ले ....
पर नहीं महंगाईने तो उसे भी नहीं छोड़ा .....
फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है ,
बिना किसी वजह एक दोस्ती का पल मिल जाए ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
27 सितंबर 2010
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