खिलती कलियोंने तेरा पता पूछा
सूरजकी किरणोंने तुझे ढूँढा
पंछीके परवाजोंने तेरा ठिकाना ढूँढा
कोयलकी कूकने बेसब्रीसे तुझे पुकारा
बादल का काला रंग और गहरा गया तेरे बिन
बारिश भी कुछ कम गीली महसूस हुई
दिन थोडा कम लम्बा लगा
रातें कुछ और लम्बी लगने लगी
नींदोंने मेरी आँखोंमें बसनेसे इनकार कर दिया
इंतज़ारने मेरी दहलीजसे दूर जानेसे मना कर दिया
सबको तेरी तलाश थी
पर मेरे दिल से बाहर आने को तुझे भी परहेज था
कासे बताऊ ये पीर ????
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
अपनी पीर को ब्लॉग पर डालकर निकल लो :)
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