इंतज़ार का लुफ्त जाना मैंने
जब मैंने इंतज़ार किया ....
तुम मेरे सबसे करीब थे
जब मुझे तुम्हारा इंतज़ार था ....
मेरे नयन तुम्हारे रहगुजरसे हट नहीं रहे थे ...
मेरे जहनमें तुम्हारे ही ख्याल थे ...
मैंने उन बातोंमें तुम्हे फिर से जी लिया ....
मेरे कानोमें तुम्हारे कदमों की आह्ट की गूंज थी ....
मेरी आँखोंमें तुम्हारा ही चेहरा था ....
बस तुम ही तुम थे और कोई नहीं ...
मुझमे तुम्हे पा लिया
जब जब मैंने इंतज़ार किया ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया सृजित की है आपने ........
एक बार इसे जरुर पढ़े, आपको पसंद आएगा :-
(प्यारी सीता, मैं यहाँ खुश हूँ, आशा है तू भी ठीक होगी .....)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_14.html
मुझमे तुम्हे पा लिया
जवाब देंहटाएंजब जब मैंने इंतज़ार किया ....
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बहुत ही सुंदर भाव हैं....
ऐसे ही लिखती रहें
शुभकामनायेँ