अय दिल देख वो तेरा दोस्त हमेशाके लिए जा रहा है
तुमसे दूर बहुत दूर....
कितने पत्थर दिल हो तुम ?
तुम तो ऐसे ना थे !!!!!
क्या कहूँ इन मासूमोंसे ....
देखो ये घाव मेरे सर पर ....
पट्टी रंगी हुई है लाल रंग से ....खून से .....
मैंने भी उस पत्थर दिल से टकरा टकरा कर इल्तजा की थी
रुक जा ...रुक जा .......
वो लौट आया ...वापस आया .......
सर का घाव याद दिलाता रहा उसकी चोट ....
घाव ना भर पाया ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
13 अगस्त 2010
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
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