कभी बरसते बरसातमें उसका चेहरा नज़र आया ,
कभी काले बादलोंमें उसका पयगाम नज़र आया ,
कभी अपनोंकी भीड़के बीचमें भी वो झांकता नज़र आया ,
कभी उदास बैठे एक कोने में हम बैठे थे तन्हासे हम
बालोंको सहलाते हमारे गमको बांटता एक साया नज़र आया ..........
खुशियोंके पल में हमारी हँसी की गूंजमें उसका एहसास नज़र आया ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
22 जुलाई 2010
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