एक ख्वाबगाह में सोयी थी एक राजकुमारी ,
एक सूरजकी हलकी किरणसे उसके गालों को सहला लिया था ,
वो चोरी चुपके से किया वो स्पर्श
मेरी जिंदगी का ख्वाब बनकर ठहरता रहा मेरे ख्वाबगाह में ......
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चंद पलोंके लिए तुम ठहर तो जाओ ,
मेरे दर पर तेरे पैरों के निशाँ है ,
सहेज के रख लेता हूँ अभी ...
क्या पता हवा ये निशाँ को कुछ हल्का ना कर दे
जब हम कल यहाँ फिर मिलने को आये ....
waah ati sundar...tasveer to bahut hi pyari hai...
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