काली झुल्फोंकी घटा ये लागे जैसे सावनके बादल ,
तेरी झील सी आँखोंमें नीले आकाश को देखते है हम ...
परी हो या हो कोई अप्सरा ये तो हम नहीं जानते ,
जबसे देखते उन्हें हमको दिनमें भी चांदनीकी सफेदी नज़र आये है ...
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सिंदूरी शाम जाते जाते एक पयगाम दे गई ,
मेरी रातकी नींदे तुम्हारे नाम कर गयी ......
bahut khub
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
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