एक नया सिलसिला है ये ...की किसी एक शब्द को ही लेकर मैं जितनी शायरी या कविता लिख सकूँ ये आजमाईश कर रही हूँ ...और ये मेरी खुद की परीक्षा है जो मैं खुद ही ले रही हूँ ....इस वक्त में अँधेरा शब्द चुनकर उस पर ही कुछ फरमा रही हूँ ...........................................
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अय अँधेरे क्यों बड़ा बदनाम तु ?
क्या निखरता चाँद और क्या जानते हम भी
क्या चीज है ये चांदनी या कितना है चाँद खुबसूरत ???
शुक्र गुजार है ये कायनात की खुद को बुझा तुने रोशन जहाँ किया ..........
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अय अँधेरे क्यों बड़ा बदनाम तु ?
कितने आंसू चुपचाप पोछ लेता है तु !!!!
कितने दर्द को अपने काले दामनमें छुपा लेता है !!!!
जो बिछड़ जाते है दिनमें इस दुनियाके मेलेमें
वो दिल तुम्हारे आँचलमें फिर एक बार मिल जाते है ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
sundar prayaas!!
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंshkehar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
अय अँधेरे क्यों बड़ा बदनाम तु ?
जवाब देंहटाएंकितने आंसू चुपचाप पोछ लेता है तु !!!!
कितने दर्द को अपने काले दामनमें छुपा लेता है !!!!
जो बिछड़ जाते है दिनमें इस दुनियाके मेलेमें
वो दिल तुम्हारे आँचलमें फिर एक बार मिल जाते है ......
bahut sundar
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
bahut sundar,,,
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/