ना ख्वाहिशें थी पल रही इस नादाँ दिलमें ,
ना शिकवे करे किसीसे ना कोई गीले हुए कभी ,
बस नजरें मिली यूँ तुमसे जिस पल
इश्कने हमें सब सिखा दिया ............................
तनहा होने के एह्साससे रहे थे परे हम अब तक
तुमसे मिलने पर ये तनहाई के पल भी रास आने लगे अब ,
तुमसे यूँ बिछड़ना मिलकर हरवक्त
हमें ये इश्ककी तड़पकी तपिश से पिघला गया ....................................
बड़ा नाज़ था हमें खुमार था अपने दिल पर यूँ
कोई जीत ना पायेगा उसे नज़रोंके निशानों पर ,
महसूस किया तहे दिलसे जब तुम्हारे प्यार की सादगीको ,
बस खुल कर इज़हार करना चाहा है हाँ हमें भी हो गया प्रेमरोग ......
सुना तो ये भी था की हुस्न होता है बड़ा ही शातिर और कातिल भी
जान लेता है ये आगका दरिया भी है ,
पर तेरी दीवानगी यूँ कुछ रंग ला गयी
की ये इश्कने हमें जानिस्सार होना सिखा दिया ......
जान लेता है ये आगका दरिया भी है ,
जवाब देंहटाएंपर तेरी दीवानगी यूँ कुछ रंग ला गयी
की ये इश्कने हमें जानिस्सार होना सिखा दिया .....
सुन्दर रचना दिल को छुने वाली