जब आओ ख्वाबों में रात को
चलेंगे सैर पर साथ ही
तुम चप्पल पहनकर ही आया करो ...
रोज दरवज्जेसे मेरे पिताजी की चप्पल ना चुराया करो ....
नंगे पैर राहों पर चलने का मजा भी चख लो जारा ......
कांटे चुभेंगे पाँवमें और पहले से आदत तो हो जाएगी ,
समज लेना ये तो सिर्फ ट्रेलर ही है ,
पूरी बनेगी जब बाद में शादी के फिल्लम ,
तो घावसे पहचान तो हो ही जाएगी ......
sundar bhav.
जवाब देंहटाएंबेहतरी रचना के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत -२ आभार