अय मेरी महबूब ,
जब देखें तुम्हारी आँखें
तबलेका सरफेस याद आवे है ....
तुम्हारे कोमल हाथ
हमें हमेशा बांसुरीकी याद दिलावे है ,...
तुम्हारी सूरीली आवाज ऐसी
की जैसे फटा हुआ ढोल बजने लगा ....
तुम्हारी खिट पिटसे छुटकारा लेने
हम हारमोनियमका किलास भरने जावे है ....
तुम्हारी अदाएं देखकर दिल ऐसे डूबे जावे
है इस गममें हमने गिटारके कितने कॉर्ड तोड़ डाले है .....
तुम्हारी जुल्फोंका क्या कहने है ?
इतनी घनी जितने सितारके होते है तार ....
तुम्हारे कानको देखकर कल्पना आवे हरदम
जैसे इसे उपरवाले ने डमरूको बिचसे तोड़कर बनाये है ....
तुम्हारे क़दमोंकी आह्ट सुनकर लगे
ऐसे जैसे कोई जोरसे रुक रुक कर डफली पर थाप दिए जावे है ....
अब जाकर ऐतबार आ गया आपको हम पर भी ...
हम भी किसी संगीत शालासे निकल कर सीधे तुमसे मिलने आये है ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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