सांवरीसी सूरत पर उलझकर अटक जाती है एक लट
उस एक तारी जालमें उलजकर कितने मौसम खुशगवार हो जाते है !!!!!!
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राहों पर पथरा रही नज़र ,
तुम्हारे दीदार पर ,
सुलगती तीली दियेकी तरह
अंगुली को चटखा गई ........
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दीवालीका ये तोहफा मुझे दे दो ,
वतन पर जांनिसार करनी है ,
मुस्कान ओढ़कर लबों पर ,
सरहद पर जाने की इजाजत दे दो .....
उस एक तारी जालमें उलजकर कितने मौसम खुशगवार हो जाते है !!!!!!
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waah ye mukhde par lat ki ada gazab dha gayi.
सरहद पर जाने की इजाजत दे दो .....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रवासी दर्द