7 सितंबर 2009

चल कहीं दूर निकल जाए ......

कुछ नया दस्तक दे रहा है

दरवाजा खोलने को मन राजी नहीं ....

पुरानी यादोंने घर पर डेरा जमा रखा है ...

अय अजनबी तुझे कहाँ पर पनाह दूँ ?????

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अय दोस्त काश एक एहसान हम पर कर जाता ,

तू तो चला गया हमसे दूर तेरी यादें भी संग ले जाता .......

1 टिप्पणी:

  1. पुरानी यादोंने घर पर डेरा जमा रखा है ...

    अय अजनबी तुझे कहाँ पर पनाह दूँ ?????

    sach kaha ye dil purani yaadon ko bhulta nahi aur naye rishte dastak dene lagte hai,bahut khub

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