5 अप्रैल 2009

वो आ रहे हैं ......उर्मिला !!!!!!

दिल नाच उठा है आज ,

होठ पर तराने हँसी के है ,

पाँव थिरक रहे है बिन घूँघरू के ,

कल वो आ रहे है ....

मनका मयूर आज नहीं ठहरेगा कहीं ,

कोयल नहीं ढूंढें कोई और बहाना कूकने का ....

अंखियोंमें आज नींद को बुलाना नहीं ,

क्योंकि कल वो आ रहे है ...

बिरहा में गुजरे हुए वो दिन की दास्ताने ,

आंसू बहाकर भिगोए थे तकिये ,

उन सिलसिलों को आज याद आना नहीं ,

क्योंकि कल वो आ रहे है ....

बर्फ की सिली चद्दरें,

कड़ी धूप रेगिस्तानों की ,

या घने जंगलों में ,

बंदूक ताने देश की सीमाओं पर,

भूला कर मुझे याद फिर भी जो करते रहे हरदम ,

मेरे मनमीत वो कल आ रहे है .....

सर्दी ,गर्मी ,दिन या रात ,

अभी कोई हिसाब चुकाना नहीं ,

दोनों मिलकर रोशन करेंगे दिपावली के चराग ,

बस अब तो कल वो आ रहे है ........

( ये कविता समर्पित है उन देश की सीमाओं के प्रहरी जवान की पत्नी को जिसकी आँखे बिछ जाती है राहों में प्रतीक्षा में अपने पति की ........)

6 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khubsurati se mann mayur dola hai unke aane se,sunder sunder rachana

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  2. बहुत सुन्दर भाव हैं।बढिया कविता है बधाई स्वीकारें।

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  3. aapne bahut hi gahrayi se ek sainik ki patni ke dard ko ukera hai ..........bahut hi behtrin.

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर भाव। कहते हैं कि-

    मुहब्बत ही मुहब्बत जिन्दगी है गर कोई समझे।
    वर्ना जिन्दगी तो मौत के साये में ही पलती है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं

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