31 मार्च 2009

शबनम का कतरा

एक ठहरा हुआ सा शबनमका कतरा ,

सूखे पत्ते पर बनाकर आशियाँ ,

ठंडी हवाके झोंके पर होकर सवार ,

अनजान सफर पर उड़ चला ...........

================================

सुबहकी लालीसी मुस्कराहटको लबों पर सजा लिया ,

बंदगीमें जब हाथ उठे तो आपके लिए सजदा कर लिया ,

हरकतमें हर साँसकी आपके वजूदको जिन्दा रख लिया ,

न कभी कहा किसीको ,ये राज़ दिलमें छुपाकर रख लिया ......

2 टिप्‍पणियां:

  1. एक ठहरा हुआ सा शबनमका कतरा ,
    सूखे पत्ते पर बनाकर आशियाँ ,
    ठंडी हवाके झोंके पर होकर सवार ,
    अनजान सफर पर उड़ चला ...........
    waah bahut khubsurat

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...