एक ठहरा हुआ सा शबनमका कतरा ,
सूखे पत्ते पर बनाकर आशियाँ ,
ठंडी हवाके झोंके पर होकर सवार ,
अनजान सफर पर उड़ चला ...........
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सुबहकी लालीसी मुस्कराहटको लबों पर सजा लिया ,
बंदगीमें जब हाथ उठे तो आपके लिए सजदा कर लिया ,
हरकतमें हर साँसकी आपके वजूदको जिन्दा रख लिया ,
न कभी कहा किसीको ,ये राज़ दिलमें छुपाकर रख लिया ......
एक ठहरा हुआ सा शबनमका कतरा ,
जवाब देंहटाएंसूखे पत्ते पर बनाकर आशियाँ ,
ठंडी हवाके झोंके पर होकर सवार ,
अनजान सफर पर उड़ चला ...........
waah bahut khubsurat
बहुत बढ़िया!
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तख़लीक़-ए-नज़र