हम इंसान है !! बहुत ही समजदार प्राणी इस धरती पर बसे हुए ...हमारी हर शोध हर अन्वेषण ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है पर फ़िर भी क्यों कदम दर कदम ये जिंदगी हमारी उलज़ने बढ़ा ही रही है ....
एक उदाहरण पेश कर रही हूँ ॥
चार व्यक्ति का एक परिवार है .चारो व्यक्तियों को आप एक कागज़ और कलम देकर चार अलग जगहों पर बिठा दो .इन चार व्यक्तियों को ख़ुद के समेत बाकी चार व्यक्ति के बारेमें लिखना है । समय अवधि दी जाती है एक घंटा।
एक घंटे के बाद चारोंका लिखा हुआ ले लीजिये । उन चारो का जो लिखा हुआ हैं उस पर गौर से पढने पर आप ये जान पाओगे की एक ही परिवार में सालो से साथ रहने के बावजूद चारो व्यक्ति की दुसरे व्यक्तियों के बारे में राय भिन्न हो सकती है ।
कारण साफ़ है की एक खून से बने होते है फ़िर भी हम एक स्वतंत्र व्यक्ति ही होते है .और ये कतई जरूरी नहीं की हमारी सोच हमारा दृष्टिकोण दुसरे व्यक्तियों से मिलता जुलता हो ...हम एक स्वतन्त्र व्यक्ति ही है शरीर और मन से ....
माबाप अपनी संतानों को एक ही स्कूल में एक ही सा शिक्षण देते है फ़िर भी ऐसे क्यों होता है की एक संतान डॉक्टर बनता है और दूसरा इतिहास में रूचि रखता है । एक हमेशा अव्वल आता है और दूसरा फ़ैल होता है ...
फ़िल्म तारे जमीन पर उसका अच्छा उदाहरण है । क्योंकि हम ये चीज़ का जानकर या अनजाने में स्वीकार नहीं कर पाते की हम एक होते ही अलग है ...
शादी के बाद पति चाहता है पत्नी सिर्फ़ उसकी और उसके परिवार से जुड़ी रहे । जिस घरमे उसने बचपनसे जवानी तक का वक्त काटा है उसे वो भुलाकर पुरी तरह उसके परिवारको ही समर्पित रहे । लड़कियोंको भी ये शिक्षा लगभग बचपन से ही दी जाती है और उसे कहा जाता है की जिस घरमे तेरी डोली जाए उसीसे तेरी अर्थी उठेगी ..हम तेरे लिए गैर हो गए ...क्या ये सही है ?????? और लड़कियां भी इसी विचारको अपनेमें ढाल लेती है और जीवन चलता रहता है ....
पर मेरा मुद्दा ये कतई नही है .....
मैं सिर्फ़ इतना जानना चाहती हूँ की कितने युगल ऐसे होंगे जिन्होंने एक दुसरे के भिन्न व्यक्तित्वों को स्वीकार हो, संवारा हो और निखारा हो !!!
मैं अपना उदाहरण देती हूँ :
पिछले महीने अपनी घरेलु जिम्मेदारियों कुछ इस कदर हो गई की मैं सदस्योंकी अपेक्षाओं को पुरी तरह न्याय नहीं दे पा रही थी । एक दिन मैंने अपने पति से एक सवाल किया :
आप ये चाहते है की २४ x ७ मैं आपकी पत्नी बनकर जिऊँ .बेटी चाहती है में सिर्फ़ २४ क्ष ७ उसकी माँ ही हूँ ॥
कभी आप दोनोने ये सोचा की मैं एक बीवी और एक माँ से पहले एक व्यक्ति हूँ .प्रीती हूँ । जिसकी अलग चाह हो सकती है ,उसके कुछ अलग अरमान हो सकते है ..........
...................................चर्चा आगे भी जारी रहेगी ..इंतज़ार करें ......
आगे के लेख की प्रतीक्षा रहेगी।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
likhtee rahey
जवाब देंहटाएंसवाल उठाती रहिए , रास्ता यहीं से जाता है ।
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