आसमांमें देखो बाहर जाने कितने
तुम्हें बिखरे लब्ज़ नजर आयेंगे ,
उतार लो उसे दिलकी आंखोंसे पढ़कर कोरे कागज़ पर
तो ये नज़्म नजर आयेंगे ....
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बिखराती लहराती ये झुल्फोंको समेट लो जरा ,
घडीभरके लिए फलक हमें जरा ये चाँद तो नज़र आए ....
इस जमींको इस आसमांको रोशन कर दो नजरें उठाकर ,
तो आपकी आंखों के खुबसूरत सपने भी हमें नजर आयेंगे .......
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दर्द तो बिकता है यहाँ हर गली हर मोड़ पर ,
खुशियोंकी फुहारें तो बहुत ही कम को नसीब होती है ,
अपने होठोंकी मुस्कुराहटोंको बांटते रहो हरदम ,
हर निगाहोंको जो नम होती है ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
24 जनवरी 2009
आसमांमें देखो बाहर ......
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विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
आसमांमें देखो बाहर जाने कितने
जवाब देंहटाएंतुम्हें बिखरे लब्ज़ नजर आयेंगे ,
उतार लो उसे दिलकी आंखोंसे पढ़कर कोरे कागज़ पर
तो ये नज़्म नजर आयेंगे ....
बहुत ही बढ़िया
www.merichopal.blogspot.com
bahut badhiya
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