2 जनवरी 2009

पूजा की चिठ्ठी ....!!!!



“ प्रिय भगवानजी ,

इतनी बड़ी दुनियामें आप शायद मुझे नहीं जानते होंगे पर मैं आपको अच्छी तरह जानती हूँ ।आप मेरे घरके मन्दिर में रहते हो .पूजा वाले कमरे मे.आपकी वहां पर सुंदर मूर्ति है .दादा दादी रोज उनकी पूजा भी करते है .बाद में मुझे प्रशाद भी देते है .

पहले मैं आपको अपना नाम बताती हूँ ।मेरे नाम पूजा है .मेरी उम्र ही आठ साल .यहाँ चन्दनपुर के सेंट लोरियल कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हूँ हिन्दी माध्यम की दूसरी क्लास में .अच्छा भगवानजी ,सब ये कहते है की आप को सब पता होता है .सही में आप सब कुछ जानते है ना ? मुझे आपसे एक सवाल पूछना है .आप उसका सही सही जवाब दोगे ना ?मुझे उसका जवाब जरूर लिखना ...

थोड़े दिन पहले मेरी मम्मी सो रही थी ।सबके बुलाने पर भी नहीं जागी .फ़िर सभी रोने लगे .मम्मी को मेरी दुल्हन गुडिया की तरह सजाया गया .फिरभी वह कुछ भी नहीं बोली .फ़िर मुझे रोहित अंकल के घर ले गए . पुरा दिन मैं वहां पर ही रही .दूसरे दिन मैंने सबसे पूछा माँ कहाँ पर गई ?तो सबने कहा वह भगवान के घर गई है .

भगवानजी क्या वो सचमुच तुम्हारे पास आई है ? वो ठीक तो हैं न ?क्या मुझे वह याद करती है ? उनसे कहना मैं तो उन्हें बहुत याद करती हूँ ।पापा मेरा बहुत ही ख्याल रखते है . रात को पापा मम्मीकी तस्वीर को हाथ में लेकर कल बातें कर रहे थे .मैंने ठीक सुनी नहीं मुझे बहुत नींद आ रही थी .

अच्छा मैं इस चिट्ठी के साथ कुछ दवाईयां भी भेज रही हूँ ।मामा बहुत बीमार थी और सब उन्हें यही दवाई देते थे .आप उन्हें ठीक टाइम पर देते रहना .मामा को टाइम पता है .जब वो ठीक हो जाए तो तुरंत उसे हमारे पास भेज देना .मामा को बताना अब मैं उन्हें कभी भी तंग नहीं करुँगी . अब तो मैं चोटी बनते हुए भाग नहीं जाती हूँ .दादी मुझे दूध देती है तो मैं चुप चाप पी लेती हूँ .अपना होम वर्क भी जल्दी जल्दी कर लेती हूँ .एकदम गुड गर्ल बन गई हूँ .अब उनको कभी तंग नहीं करुँगी बस आप उसे मेरे पास जल्दी भेज देना .अरे हाँ उसे बस में चक्कर आते है इस लिए ट्रेन में भेजना .मैंने थोड़े पैसे बचाए है वह भी लिफाफे में साथ भेज रही हूँ .आपको काम आयेंगे .अरे हाँ आपको कुछ और पूछना हो तो मेरा फ़ोन नम्बर है :७८०७८५२.

मेरा काम मत भुलाना ।

आपकी छोटी सी बेटी पूजा ॥"


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एक लिफाफे पर पता लिखा हुआ था “भगवानजी को मिले “डाकिया रामबाबू ये लिफाफा चन्दनपुरके सहायक पोस्ट मास्टर श्रीमती हेमलता सरदेसाई के पास छोड़ गया ।गोंद से चिपकाये इस कवर से रुपये १२८।५० पैसे निकले .साथ में कुछ दवाई भी थी . हेमलता ने ये चिट्ठी पढी .उसकी आँखे डबडबा गई . उसे अपनी माँ के पास छोड़ी हुई अपनी दस साल की बेटी सुजाता याद आ गई .

हेमलता ने चिट्ठी में लिखा हुआ नम्बर डायल किया ।सामने पूजा के पिताजी ही थे ।हेमलता ने सारी बात उन्हें बताई और पूजा को फोन देने के लिए कहा .

”हेल्लो पूजा बेटी ,मैं मामा बोल रही हूँ ...” हेमलता ने पूजा को कहा ।
"माँ , भगवानजी को इतनी जल्दी मेरी चिट्ठी मिल गई ?”मासूम पूजा ने पूछा ।

”हाँ !!!बेटी ,वो फौरन भागके मेरे पास आए और ये चिट्ठी मुझे दे दी ।”हेमलता बोली .

”पर माँ तुम्हारी आवाज क्यों बदली हुई लग रही है ?” पूजा को ताज्जुब हुआ ।

"बेटी , भगवान का घर बहुत ही दूर है इस लिए थोडी तुम्हारी आवाज भी मुझे बदली हुई ही लग रही है ...” थोड़ा सोचने के बाद हेमलता ने उत्तर दिया ।

”अच्छा माँ मैंने दवाई भी भेजी है वो ठीक से लेती रहना । पर तुम अब वापस कब आओगी ?” पूजा के इसी सवाल का हेमलता को डर था .

”बेटी , मुझे भगवानजी ने यहाँ एक नौकरी करने के लिए बुलाया है ।यहाँ छोटे छोटे बच्चों की मम्मी नहीं है .तो उन्हें मुज को तुम्हारी ही तरह गुड गर्ल और गुड बॉय बना देना है .शायद कुछ साल लगेंगे .लेकिन मेरा काम जैसे ख़त्म होगा मैं तुरंत तुम्हारे पास आ जाउंगी .” हेमलता की आवाज और आँखे ये जवाब देते देते भीग गई थी .

” अच्छा मम्मा ,तुम्हे हर सन्डे छुट्टी होगी न तब तुम मुझे फोन करती रहना हाँ !! और उन सब बच्चों को ढेर सारा प्यार देना ।मेरी चिंता मत करना .यहाँ पर मेरा सब बहुत ख़याल रखते है . पर मुझे फोन जरूर करना . अच्छा भगवानजी को मेरा धन्यवाद बोलना हाँ !! बाय बाय !!!” पूजा को एक गहरा सुकून महसूसहुआ ।

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आज पूजा अठारह साल की हो चुकी है .हकीकत को जानती है -समजती है .आज भी सन्डे का उसको उतनी ही बेसब्री से इन्तजार रहता है अपनी मम्मी के उस फोन का जो उसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती है .पूजा न्युयोर्क में पढ़ाई कर रही है .हेमलता नैनीताल में रहती है .दोनोने कभी भी एक दूसरे से मिलनेकी कोशिश भी नहीं की .क्यों कि ये सुंदर भ्रमको दोनों ही तोड़ना नहीं चाहती है .हेमलताने पूजा को उसकी शादी में जरूर आने का वादा किया है आशीर्वाद देने के लिए ........!!!





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